प्रात:काल मंगला आरती से पहले ठाकुर जी को ऊनी, मखमली कपडे से तैयार फरगुलऔर रजाई धारण कराई गई है. "चांदी की अंगीठी में चंदन की लकडी जला कर उन्हें तपाया भी जाता है.श्रद्धालुओं की भावना है कि उनके ठाकुरजीकडकडाती ठंड में शीत से ग्रस्त न हों"
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आप सभी को राधाकृपा परिवार की ओर से "गीता जयंती" की हार्दिक-हार्दिक शुभकामनायें.
ब्रह्मपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। द्वापर युग में
भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए यह
तिथि "गीता जयंती" के नाम से भी प्रसिद्ध है। और इस एकादशी को "मोक्षदा एकादशी"
कहते है. भगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर, विश्व के मानव मात्र को गीता के ज्ञान
द्वारा जीवनाभिमुख बनाने का चिरन्तन प्रयास किया है।
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