कहते है कि जो वृदांवन में शरीर को त्यागता है. तो उन्हें अगला जन्म श्री वृदांवन में ही होता है. और अगर कोई मन में ये सोच ले, संकल्प कर ले कि हम वृदावंन जाएगे, और यदि रास्ते में ही मर जाए तो भी उसका अगला जन्म वृदांवन में ही होगा. केवल संकल्प मात्र से उसका जन्म श्री धाम में होता है.
ऐसा ही एक प्रसंग श्री धाम वृन्दावन है, तीन मित्र थे जो युवावस्था में थे तीनों बंग देश के थे. तीनों में बडी गहरी मित्रता थी, तीनो में से एक बहुत सम्पन्न परिवार का था पर उसका मन श्रीधाम वृदांवन में अटका था.....
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