Wednesday 29 February 2012

"राधा रानी जी की अष्टम सखी -श्री सुदेवी जी"


श्री राधाकुंड के उत्तर-पश्चिम कोणवर्ती दल पर हरित वर्ण की "बसंत सुखद" नामक कुंज है. जिसमे सदा श्री सुदेवी जी निवास करती है. श्री कृष्ण में इनकी कलहान्तरितामयी प्रीति है. इनके अंग की छटा पद्म- किन्जल्क कन्तिमायी है. और यह जवापुष्प रंग के वस्त्र धारण करती है.SeeMore.......

Monday 27 February 2012

"भक्ता आनंदीबाई जी-"जब राधा रानी जी मचल पड़ी "


एक दिन की बात है माँ आनंदी बाई मंदिर के बाहर बैठी रो रही थी.
वे बोली बेटा ! क्या करूँ ? आज बहुरानी बड़ी मचल रही है कल की बात है, मै बाजार गई थी वहाँ मैंने मुंशी की दुकान पर एक साड़ी देखी,किन्तु बहुत कीमती थी इसलिए उसे छोड़कर दूसरी साड़ी ले आई, बहू राधा उसे पहिन ही नहीं रही है मै पहिनाती हूँ, वह उसे उतार कर फेक देती है. जिद्द पर अड़ गई है, कहती है पहिरुगी तो वही साड़ी जिसे तू कल छोड़ आई है SeeMore.....

Thursday 23 February 2012

"जहाँ अष्ट पहर ठाकुर जी की सेवा होती है"


हरिवंश महाप्रभु 31वर्ष तक देववनमें रहे.अपनी आयु के 32वेंवर्ष में उन्होंने दैवीय प्रेरणा से वृंदावन के लिए प्रस्थान किया.मार्ग में उन्हें चिरथावलग्राम में रात्रि विश्राम करना पडा.वहां उन्होंने स्वप्न में प्राप्त राधारानीके आदेशानुसार एक ब्राह्मण की दो पुत्रियों के साथ विधिवत विवाह किया.बाद में उन्होंने अपनी दोनों पत्नियों और कन्यादान में प्राप्तश्री राधा वल्लभ लालके विग्रह को लेकर वृंदावन प्रस्थान किया.SeeMore......

Wednesday 1 February 2012

वृंदावन के वृक्ष को मर्म न जाने कोय


                                                                     
कहते है कि जो वृदांवन में शरीर को त्यागता है. तो उन्हें अगला जन्म श्री वृदांवन में ही होता है. और अगर कोई मन में ये सोच ले, संकल्प कर ले कि हम वृदावंन जाएगे, और यदि रास्ते में ही मर जाए तो भी उसका अगला जन्म वृदांवन में ही होगा. केवल संकल्प मात्र से उसका जन्म श्री धाम में होता है.
ऐसा ही एक प्रसंग श्री धाम वृन्दावन है, तीन मित्र थे जो युवावस्था में थे तीनों बंग देश के थे. तीनों में बडी गहरी मित्रता थी, तीनो में से एक बहुत सम्पन्न परिवार का था पर उसका मन श्रीधाम वृदांवन में अटका था.....
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Monday 23 January 2012

ब्रज उत्सव में पढ़े "ठाकुर जी का हिंडोलना उत्सव"


                                                                               
सावन के आते ही ब्रज के कई मन्दिरों में हिंडोला एवं घटा उत्सव की धूम शुरू हो जाती है. वृन्दावन एवं बरसाना का मशहूर हिंडोला उत्सव "हरियाली तीज" के दिन से लेकर "राखी पूर्णिमा" तक श्री जी नित्य झूला में बैठकर, सुन्दर-सुन्दर हिंडोरन में विराजमान होकर हम सभी रसिक भक्तों के नैन रुपी चातक को अपने अलौकिक दर्शन की दिव्य वर्षा के द्वारा संतृप्त करते है.

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Thursday 19 January 2012

"मईया दाऊ बहुत खिजायो"


                                                                         
एक बार बालक श्रीकृष्ण अपनें सखाओं संग खेल रहे थे. श्रीदामा, बलराम तथा मनसुखा आदि उनके साथ रसमयी क्रीड़ा का आनन्द ले रहे थे. इस खेल में एक बालक दूसरे के हाथ में ताली मारकर भागता और दूसरा उसे पकड़ने का प्रयास करता था. बलदाऊ को लगा कही कान्हा को चोट न लग जाये. इसीलिए उन्होनें कान्हा को समझाया- मोहन तुम मत भागो. अभी तुम छोटे हो, तुम्हारे पैरों में चोट लग जायेगी.
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Wednesday 18 January 2012

राधारानी जी की छठी सखी - श्री रंगदेवी जी"

                                                                                
श्री राधाकुंड के दक्षिण–पश्चिम कोणवर्ती दल पर श्यामवर्ण की "सुखदा –नामक कुंज" है जिसमे श्री कृष्ण वल्लभा श्री रंग देवी जी नित्य निवास करती है .इनकी कमल केसर वर्ण सदृश अंग कांति है और जावा पुष्प कांति के वस्त्र धारण करती है श्री कृष्ण में उत्कंठिता –नायिका भावानात्मका रति है.
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Tuesday 17 January 2012

"श्री नाथ जी के शयन दर्शन"


इस आठवें व अन्तिम दर्शन में, "श्रीमदनमोहन" के स्वरूप के भाव का कीर्तन "श्रीकृष्णदासजी" अधिकारीजी करते है। दिवस में ऋषभ सखा व रात्रि विहार में ललिता सहचरी की सहरूपासक्ति है। इसमें मुकुट का श्रृंगार व रासलीला का अनुभव, चरण स्थान से प्राकट्य है। मुख्य भाव बिलछू कुण्ड के ऊपर श्याम तमाल व कदम्ब के वृक्ष के नीचे श्रीगिरिराजजी में निवास हैSeeMore........

"जब गोमा टीला से गोविंद देव जी का प्राकट्य हो गया"


श्री रूप गोस्वामी सेवा कुञ्ज के अंतर्गत श्रीराधादामोदर मंदिर के पीछे छोटी सी भजनकुटी में साधन भजन करते थे .वे श्री चैतन्य महाप्रभु के आदेश से शास्त्र-प्रमाण अनुसार लुप्त तीर्थों को प्रकट करना चाहते थे .रूप गोस्वामी प्रतिदिन पञ्चकोसी वृन्दावन की परिक्रमा भी करते थे और ब्रज के वनों, उपवनों और ग्रामों में घूम-घूम कर योगपीठ को ढूंढा करते. SeeMore

Monday 16 January 2012

सौफ है सेहतमंद


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सौंफ में ऐसे अनेक औषिधीय गुण मौजूद होते हैं जो सभी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. बड़ा हो या छोटा बच्चा यह हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभकारी है. सौफ में कैल्शियम, सोडियम फास्फोरस, आयरन, पोटेशियम जैसी खास तत्व पाए जाते है, यूनानी दवाओ में सौफ की काफी सिफारिश की जा सकती है.