श्री राधाकुंड के उत्तर-पश्चिम कोणवर्ती दल पर हरित वर्ण की "बसंत सुखद" नामक कुंज है. जिसमे सदा श्री सुदेवी जी निवास करती है. श्री कृष्ण में इनकी कलहान्तरितामयी प्रीति है. इनके अंग की छटा पद्म- किन्जल्क कन्तिमायी है. और यह जवापुष्प रंग के वस्त्र धारण करती है.SeeMore.......
Wednesday 29 February 2012
Monday 27 February 2012
"भक्ता आनंदीबाई जी-"जब राधा रानी जी मचल पड़ी "
एक दिन की बात है माँ आनंदी बाई मंदिर के बाहर बैठी रो रही थी.
वे बोली – बेटा ! क्या करूँ ? आज बहुरानी बड़ी मचल रही है कल की बात है, मै बाजार गई थी वहाँ मैंने मुंशी की दुकान पर एक साड़ी देखी,किन्तु बहुत कीमती थी इसलिए उसे छोड़कर दूसरी साड़ी ले आई, बहू राधा उसे पहिन ही नहीं रही है मै पहिनाती हूँ, वह उसे उतार कर फेक देती है. जिद्द पर अड़ गई है, कहती है पहिरुगी तो वही साड़ी जिसे तू कल छोड़ आई है SeeMore.....
वे बोली – बेटा ! क्या करूँ ? आज बहुरानी बड़ी मचल रही है कल की बात है, मै बाजार गई थी वहाँ मैंने मुंशी की दुकान पर एक साड़ी देखी,किन्तु बहुत कीमती थी इसलिए उसे छोड़कर दूसरी साड़ी ले आई, बहू राधा उसे पहिन ही नहीं रही है मै पहिनाती हूँ, वह उसे उतार कर फेक देती है. जिद्द पर अड़ गई है, कहती है पहिरुगी तो वही साड़ी जिसे तू कल छोड़ आई है SeeMore.....
Subscribe to:
Posts (Atom)