Thursday 15 December 2011

राधा रानी जी की चतुर्थ सखी इन्दुलेखा जी

इन्दुलेखा जी राधा रानी की “अष्ट सखियों में चतुर्थ सखी” है. हर सखी के अपने-अपने निकुज है. इनकी निकुंज की स्थिति बताई गई, - कि राधाकुण्ड के अग्निकोण में, अर्थात पूर्व-दक्षिण कोण में जो “पूर्वेंन्द्र कुज” है. जो स्वर्ण की तरह कांतिमय है. और हरिताल, जो पूर्णन्नेद्र कुंज है. उसमें इन्दुलेखा जी का निवास है. read full article...

"श्री नाथ जी के द्वतीय स्वरुप - श्रृंगार दर्शन"


प्रातःकालीन दर्शन में मंगला के दर्शन के बाद दूसरे दर्शन श्रृंगार के होते है। मंगला दर्शन के पश्चात् प्रभु का स्नानादि कराकर वस्रालंकार धारण कराया जाता है।इसमें "श्रीगोकुलचन्द्रमाजी" के दर्शन के भाव "श्रीनन्ददासजी" कीर्तन में गाते है। इस समय श्रृंगार अत्यन्त मूल्यवान एवं भव्य होता है एवं श्रीजी को वेणु धरायी जाती है और दर्पण दिखाया जाता है। भोग में सूखे मेवे धराये जाते है।SeeMore...............

Wednesday 14 December 2011

"राधा रानी जी की प्रधान सखी ललिता जी"


एक बार राधा जी बड़ी प्रसन्न थी, सोचने लगी कि मेरे जैसी कोई सखी होती तो मै उसके साथ खेलती, इतना सोचते ही उनके अंग से एक सखी प्रकट हो गई, जो ललिता जी बन गई वे उनकी अंतरंगा सखी है. राधा कृष्ण का जो विस्तार है उसमे ये सखिया दो रूपो से आती है. पहली होती है- खंडिता दशा. SeeMore................

Tuesday 13 December 2011

"कैसे श्रीनाथ जी गोवर्धन से नाथद्वारा गए ?"

मेवाड में पधारने पर रथ का पहिया सिंहाड ग्राम (वर्तमान श्रीनाथद्वारा) में आकर धंस गया, बहुतेरे प्रयत्नों के पश्चात भी पहिया नहीं निकाला जा सका, प्रभु की ऎसी ही लीला जान और सभी प्रयत्न निश्फल मान, प्रभु को यहीं बिराजमान कराने का निश्चय किया गया.SeeMore.............

Monday 12 December 2011

"सात्विक भोजन क्यों जरुरी है ?"

तामसी भोजन आलस्य बढ़ाता है, राजसी भोजन क्रोध बढ़ाता है और सात्विक भोजन प्रेम बढ़ाता है शरीर भोजन से ही बना है, इसलिए बहुत कुछ भोजन पर ही निर्भर है. तामसी प्रेम नहीं कर सकता, वह प्रेम की मांग करता है. उसकी शिकायत है कि उससे कोई प्रेम नहीं करता.सत्व प्रेम देता है.SeeMore............