Thursday 23 February 2012

"जहाँ अष्ट पहर ठाकुर जी की सेवा होती है"


हरिवंश महाप्रभु 31वर्ष तक देववनमें रहे.अपनी आयु के 32वेंवर्ष में उन्होंने दैवीय प्रेरणा से वृंदावन के लिए प्रस्थान किया.मार्ग में उन्हें चिरथावलग्राम में रात्रि विश्राम करना पडा.वहां उन्होंने स्वप्न में प्राप्त राधारानीके आदेशानुसार एक ब्राह्मण की दो पुत्रियों के साथ विधिवत विवाह किया.बाद में उन्होंने अपनी दोनों पत्नियों और कन्यादान में प्राप्तश्री राधा वल्लभ लालके विग्रह को लेकर वृंदावन प्रस्थान किया.SeeMore......