निकुंजेश्वरी श्री राधा की अतिशय सुकुमारता के कारण रसिक शिरोमणि श्री श्यामसुन्दर उनके सुकोमल अंगों का स्पर्श मन के हाथो से भी करने में सकुचाते है ("छुअत ना रसिक रंगीलौ लाल प्यारी जु कौ, मन हूँ के करनि सौ छूवत डरत है") और सुकुमारी श्री राधारानी पर स्नेहवश अपने प्राणों की छाया किये रहते हैsee more..
त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें आमलकी आँवला, बहेड़ा, और हरितकी (हर्र या हरड) के बीज निकाल कर बनाया जाता है. यह मानव जाति के लिए अमृत तुल्य है साथ ही वात,पित्त व कफ - त्रिदोष नाशक व रसायन है.
"दो तोला हरड बड़ी मंगावे, तासू दुगुन बहेड़ा लावे ,और चतुर्गुण मेरे मीता ,ले आंवला परम पुनीता, कूट छान या विधि खाय, ताके रोग सर्व कट जाय"SeeMore......................
यह वृन्दावन का रस है,इसको "कुञ्ज रस" कहते हैं. और वृन्दावन के श्यामसुंदर को "कुञ्ज बिहारी" कहते हैं. इसके आगे एक और रस होता है उसे "निकुंज रस" कहते हैं. SeeMore..............
काम्यक वन में ललिता कुडं है जिसमें ललिता जी स्नान किया करती थी. और जब स्नान करती थी, और सदा राधा और कृष्ण को मिलन की चेष्टा करती थी. एक दिन ललिता जी बैठे-बैठे हार बनाती है और बनाकर तोड देती, हर बार यही करती फिर बनाती और फिर तोड़ देती.फिर बनाती है फिर तोड़ देती है.नारद जी उपर से ये देखते है. तो आकर ललिता से पूछते है - कि आप ये क्या कर रही हो ?SeeMore.......................
चंपकलता जी राधा जी की पाँचवी सखी है. इनके निकुज स्थिति इस प्रकार है - राधाकुडं के दक्षिण दिशा वाले दल पर “कामलता” नामक कुंज में निवास करती है. जो कि अतिशय सुखप्रदायनी है. शुद्ध स्वर्ण की तरह कांतिमय है. श्री चम्पकलता जी उसमे निकुज में विराजती है. ये कृष्ण की “वासक सज्जा” नायिका भाव से सेवा करती है.SeeMore...............
पालक मानव के लिए एक अमृत के समान लाभकारी सब्जी है तथा यह सब्जी ही अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है, पालक को आमतौर गुणकारी सब्जी तो माना जाता है.पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते. यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है, सर्वसुलभ एवं सस्ता है.पालक की तासीर शीतल और ठंडी होती है.
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प्रातःकालीन दर्शन में ये अंतिम दर्शन होता है.इस चतुर्थ दर्शन में श्रीनाथजी के दर्शन का भाव है तथा "श्रीकुम्भनदासजी" कीर्तन करते है। दिवस लीला में अर्जुन सखा व रात्रि विहार में बिसारवा सहचरी की इस दर्शन में आसक्ति है। इसमें कूल्हे का श्रृंगार व निकुंज लीला का अनुभव, हृदय स्थान से प्राकट्य है। अन्योर में सद्दु पांडे के नीम के वृक्ष नीचे श्रीगिरिराजजी में इनका निवास है।SeeMore........
प्रातःकालीन दर्शन में ये तीसरा दर्शन है जिसमे भगवान अपनी गौओ के साथ है जो नाथ द्वारा की गौशाला का मुखिया होता है वह आता है और कहता है कि सभी गाये अच्छी है. और माखन मिश्री देता है इस समय भगवान के पास बासुरी नहीं होती है भगवान इस समय अपने ग्वाल बाल सखाओ के साथ खेलते है.ये दर्शन "श्रीद्वारिकानाथजी" के भाव से खुलते हैं।"गोविन्द स्वामी जी" इस समय कीर्तन करते है. SeeMore..............