प्रातःकालीन दर्शन में ये अंतिम दर्शन होता है.इस चतुर्थ दर्शन में श्रीनाथजी के दर्शन का भाव है तथा "श्रीकुम्भनदासजी" कीर्तन करते है। दिवस लीला में अर्जुन सखा व रात्रि विहार में बिसारवा सहचरी की इस दर्शन में आसक्ति है। इसमें कूल्हे का श्रृंगार व निकुंज लीला का अनुभव, हृदय स्थान से प्राकट्य है। अन्योर में सद्दु पांडे के नीम के वृक्ष नीचे श्रीगिरिराजजी में इनका निवास है।SeeMore........
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