प्रातःकालीन दर्शन में मंगला के दर्शन के बाद दूसरे दर्शन श्रृंगार के होते है। मंगला दर्शन के पश्चात् प्रभु का स्नानादि कराकर वस्रालंकार धारण कराया जाता है।इसमें "श्रीगोकुलचन्द्रमाजी" के दर्शन के भाव "श्रीनन्ददासजी" कीर्तन में गाते है। इस समय श्रृंगार अत्यन्त मूल्यवान एवं भव्य होता है एवं श्रीजी को वेणु धरायी जाती है और दर्पण दिखाया जाता है। भोग में सूखे मेवे धराये जाते है।SeeMore...............
प्रातःकालीन दर्शन में मंगला के दर्शन के बाद दूसरे दर्शन श्रृंगार के होते है। मंगला दर्शन के पश्चात् प्रभु का स्नानादि कराकर वस्रालंकार धारण कराया जाता है।इसमें "श्रीगोकुलचन्द्रमाजी" के दर्शन के भाव "श्रीनन्ददासजी" कीर्तन में गाते है। इस समय श्रृंगार अत्यन्त मूल्यवान एवं भव्य होता है एवं श्रीजी को वेणु धरायी जाती है और दर्पण दिखाया जाता है। भोग में सूखे मेवे धराये जाते है।SeeMore...............
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