श्यामा श्याम जी की बड़ी दिव्य लीलाएँ है निकुंज की,एक दिन का प्रसंग है, निकुञ्ज के एकान्त कक्ष में श्रीप्रियाजी मखमली सिंहासन पर अकेली बैठी हैं. उन्होंने धीरे से पुकारा- चित्रा ! अपना नाम सुनते ही श्रीचित्रा उपस्थित हो गयी. नयनों की भाषा में चित्रा पूछ रही थी - कि क्या आदेश है
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