Tuesday, 6 December 2011

‎"श्री अंग का ताप मिटाने ठाकुर जी करते है चन्दन का श्रृंगार"


एक बार माधवेंद्रपुरी जी व्रज मंडल जतीपुरा(गोवर्धन) में आये, जब वे रात में सोये तो गोपाल जी उनके स्वप्न ने आये, और बोले -पुरी! देखो में इस कुंज में पड़ा हूँ, यहाँ सर्दी, गर्मी, वरसात, में बहुत दुःख पता हूँ. तुम इस कुंज से मुझे बाहर निकालो और गिरिराज जी पर मुझे स्थापित करो? जब माधवेंद्रपुरी जी सुबह उठे तो उन्होंने व्रज के कुछ ग्वालो को लेकर उस कुंज में आये और कुंज को ध्यान से खोदा, तो मिट्टी में एक श्री विग्रह पड़ा था, उसे लेकर स्नान अभिषेक करके पुरि जी ने स्थापित कर दिया. SeeMore.................

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