"जब झोले में ही झूलन का आनंद पाने लगे राधा विनोद जी"
एक दिन श्री लोकनाथ गोस्वामी को छत्रवन के पास उमराव गाँव में किशोरीकुण्ड पर श्री कृष्ण विरह में व्याकुल होकर रो रहे थे. सोच रहेथे कि मेरे पास कोई विग्रह होता तो सेवा संपादन करते तो कुछ धीरज होती .इतने में ही एक दिव्य श्री विग्रह लाकर इनके सामने उपस्थित हुआ और बोला - बाबा ! लो इस मूर्ति की आप सेवा करना , इनका नाम "राधाविनोद" है श्री विग्रह को हाथ में लिया, तभी बालक जाने कहाँ चला गया. See More......
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