Wednesday, 30 November 2011

"करे ऐसे स्नान और हो जाये तेजस्वी और आयुवान"

"करे ऐसे स्नान और हो जाये तेजस्वी और आयुवान"
आज आपाधापी से भरे जीवन की भागदौड़ में धर्म और ईश्वर में आस्था रखने वाले अनेक कामकाजी लोगों के लिए हम नियमित रूप से तीर्थ में तो जा नहीं सकते , तीर्थस्नान संभव नहीं हो पाता।इनमें ही एक उपाय है - स्नान मंत्र। जिसे कोई भी व्यक्ति घर पर नियमित रूप से स्नान करते वक्त भी मन ही मन या बोलकर स्मरण करता है, तो उसे वहीं पुण्य और शुभ फल मिलता है, जो तीर्थ में किए स्नान से प्राप्त होता है। 
"ब्रह्मकुण्डली, विष्णुपादोदकी, जटाशंकरी, भागीरथी, जाह्नवी।"
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