Monday 26 December 2011

चांदी की अंगीठी से प्रभु को शीत से बचाया जाता है"

                                                                           
प्रात:काल मंगला आरती से पहले ठाकुर जी को ऊनी, मखमली कपडे से तैयार फरगुलऔर रजाई धारण कराई गई है. "चांदी की अंगीठी में चंदन की लकडी जला कर उन्हें तपाया भी जाता है.श्रद्धालुओं की भावना है कि उनके ठाकुरजीकडकडाती ठंड में शीत से ग्रस्त न हों"
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श्री राधा जी ने सखियों के चित्र क्यों बनवाये ?"

                                                                                                                
श्यामा श्याम जी की बड़ी दिव्य लीलाएँ है निकुंज की,एक दिन का प्रसंग है, निकुञ्ज के एकान्त कक्ष में श्रीप्रियाजी मखमली सिंहासन पर अकेली बैठी हैं. उन्होंने धीरे से पुकारा- चित्रा ! अपना नाम सुनते ही श्रीचित्रा उपस्थित हो गयी. नयनों की भाषा में चित्रा पूछ रही थी - कि क्या आदेश है
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Thursday 22 December 2011

जब श्रीकृष्ण राधा रानी जी के आभूषण बन गए

                                                                                                        ‎
निकुंजेश्वरी श्री राधा की अतिशय सुकुमारता के कारण रसिक शिरोमणि श्री श्यामसुन्दर उनके सुकोमल अंगों का स्पर्श मन के हाथो से भी करने में सकुचाते है ("छुअत ना रसिक रंगीलौ लाल प्यारी जु कौ, मन हूँ के करनि सौ छूवत डरत है") और सुकुमारी श्री राधारानी पर स्नेहवश अपने प्राणों की छाया किये रहते है
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"सब रोगों की एक दवा -त्रिफला"


त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें आमलकी आँवला, बहेड़ा, और हरितकी (हर्र या हरड) के बीज निकाल कर बनाया जाता है. यह मानव जाति के लिए अमृत तुल्य है साथ ही वात,पित्त व कफ - त्रिदोष नाशक व रसायन है.
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दो तोला हरड बड़ी मंगावे, तासू दुगुन बहेड़ा लावे ,और चतुर्गुण मेरे मीता ,ले आंवला परम पुनीता, कूट छान या विधि खाय, ताके रोग सर्व कट जाय"SeeMore......................

Wednesday 21 December 2011

"पढ़े दिव्य निकुंज लीलाएँ"


 यह वृन्दावन का रस है,इसको "कुञ्ज रस" कहते हैं. और वृन्दावन के श्यामसुंदर को "कुञ्ज बिहारी" कहते हैं. इसके आगे एक और रस होता है उसे "निकुंज रस" कहते हैं. SeeMore..............

"निकुंज में जब नारद जी कृष्ण-ललिता की जय गाने लगे."


काम्यक वन में ललिता कुडं है जिसमें ललिता जी स्नान किया करती थी. और जब स्नान करती थी, और सदा राधा और कृष्ण को मिलन की चेष्टा करती थी. एक दिन ललिता जी बैठे-बैठे हार बनाती है और बनाकर तोड देती, हर बार यही करती फिर बनाती और फिर तोड़ देती.फिर बनाती है फिर तोड़ देती है.नारद जी उपर से ये देखते है. तो आकर ललिता से पूछते है - कि आप ये क्या कर रही हो ?SeeMore.......................

Tuesday 20 December 2011

"राधा रानी की पाँचवी सखी - चम्पकलता जी"


चंपकलता जी राधा जी की पाँचवी सखी है. इनके निकुज स्थिति इस प्रकार है - राधाकुडं के दक्षिण दिशा वाले दल पर कामलतानामक कुंज में निवास करती है. जो कि अतिशय सुखप्रदायनी है. शुद्ध स्वर्ण की तरह कांतिमय है. श्री चम्पकलता जी उसमे निकुज में विराजती है. ये कृष्ण की वासक सज्जानायिका भाव से सेवा करती है.SeeMore...............

Monday 19 December 2011

"पालक में इतने औषधीय गुण है."

                                                                  
पालक मानव के लिए एक अमृत के समान लाभकारी सब्जी है तथा यह सब्जी ही अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है, पालक को आमतौर गुणकारी सब्जी तो माना जाता है.पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते. यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है, सर्वसुलभ एवं सस्ता है.पालक की तासीर शीतल और ठंडी होती है.
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“श्री नाथ जी का चतुर्थ स्वरुप - राजभोग दर्शन"


प्रातःकालीन दर्शन में ये अंतिम दर्शन होता है.इस चतुर्थ दर्शन में श्रीनाथजी के दर्शन का भाव है तथा "श्रीकुम्भनदासजी" कीर्तन करते है। दिवस लीला में अर्जुन सखा व रात्रि विहार में बिसारवा सहचरी की इस दर्शन में आसक्ति है। इसमें कूल्हे का श्रृंगार व निकुंज लीला का अनुभव
, हृदय स्थान से प्राकट्‌य है। अन्योर में सद्‌दु पांडे के नीम के वृक्ष नीचे श्रीगिरिराजजी में इनका निवास है।SeeMore........

Sunday 18 December 2011

"श्री नाथ जी के ग्वाल दर्शन"


प्रातःकालीन दर्शन में ये तीसरा दर्शन है जिसमे भगवान अपनी गौओ के साथ है जो नाथ द्वारा की गौशाला का मुखिया होता है वह आता है और कहता है कि सभी गाये अच्छी है. और माखन मिश्री देता है इस समय भगवान के पास बासुरी नहीं होती है भगवान इस समय अपने ग्वाल बाल सखाओ के साथ खेलते है.ये दर्शन "श्रीद्वारिकानाथजी" के भाव से खुलते हैं।"गोविन्द स्वामी जी" इस समय कीर्तन करते है. SeeMore..............

Thursday 15 December 2011

राधा रानी जी की चतुर्थ सखी इन्दुलेखा जी

इन्दुलेखा जी राधा रानी की “अष्ट सखियों में चतुर्थ सखी” है. हर सखी के अपने-अपने निकुज है. इनकी निकुंज की स्थिति बताई गई, - कि राधाकुण्ड के अग्निकोण में, अर्थात पूर्व-दक्षिण कोण में जो “पूर्वेंन्द्र कुज” है. जो स्वर्ण की तरह कांतिमय है. और हरिताल, जो पूर्णन्नेद्र कुंज है. उसमें इन्दुलेखा जी का निवास है. read full article...

"श्री नाथ जी के द्वतीय स्वरुप - श्रृंगार दर्शन"


प्रातःकालीन दर्शन में मंगला के दर्शन के बाद दूसरे दर्शन श्रृंगार के होते है। मंगला दर्शन के पश्चात् प्रभु का स्नानादि कराकर वस्रालंकार धारण कराया जाता है।इसमें "श्रीगोकुलचन्द्रमाजी" के दर्शन के भाव "श्रीनन्ददासजी" कीर्तन में गाते है। इस समय श्रृंगार अत्यन्त मूल्यवान एवं भव्य होता है एवं श्रीजी को वेणु धरायी जाती है और दर्पण दिखाया जाता है। भोग में सूखे मेवे धराये जाते है।SeeMore...............

Wednesday 14 December 2011

"राधा रानी जी की प्रधान सखी ललिता जी"


एक बार राधा जी बड़ी प्रसन्न थी, सोचने लगी कि मेरे जैसी कोई सखी होती तो मै उसके साथ खेलती, इतना सोचते ही उनके अंग से एक सखी प्रकट हो गई, जो ललिता जी बन गई वे उनकी अंतरंगा सखी है. राधा कृष्ण का जो विस्तार है उसमे ये सखिया दो रूपो से आती है. पहली होती है- खंडिता दशा. SeeMore................

Tuesday 13 December 2011

"कैसे श्रीनाथ जी गोवर्धन से नाथद्वारा गए ?"

मेवाड में पधारने पर रथ का पहिया सिंहाड ग्राम (वर्तमान श्रीनाथद्वारा) में आकर धंस गया, बहुतेरे प्रयत्नों के पश्चात भी पहिया नहीं निकाला जा सका, प्रभु की ऎसी ही लीला जान और सभी प्रयत्न निश्फल मान, प्रभु को यहीं बिराजमान कराने का निश्चय किया गया.SeeMore.............

Monday 12 December 2011

"सात्विक भोजन क्यों जरुरी है ?"

तामसी भोजन आलस्य बढ़ाता है, राजसी भोजन क्रोध बढ़ाता है और सात्विक भोजन प्रेम बढ़ाता है शरीर भोजन से ही बना है, इसलिए बहुत कुछ भोजन पर ही निर्भर है. तामसी प्रेम नहीं कर सकता, वह प्रेम की मांग करता है. उसकी शिकायत है कि उससे कोई प्रेम नहीं करता.सत्व प्रेम देता है.SeeMore............

Friday 9 December 2011

‎"संध्या वंदन क्यों जरुरी है ?"


नियमपूर्वक संध्या करने से पापरहित होकर ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है.-रात या दिन में जो विकर्म हो जाते हैं, वे त्रिकाल संध्या से नष्ट हो जाते हैं. संध्या नहीं करने वाला मृत्यु के बाद कुत्ते की योनि में जाता है. संध्या नहीं करने से पुण्यकर्म का फल नहीं मिलता. समय पर की गई संध्या इच्छानुसार फल देती है. घर में संध्या वंदन से एक, गो-स्थान में सौ, नदी किनारे लाख तथा शिव के समीप अनंत गुना फल मिलता है. सायंकाल देवता के समक्ष दीप जलाकर उसे नमस्कार करें.SeeMore.........................

Thursday 8 December 2011

"सुखी जीवन चाहे तो तीन बाते कभी ना भूले"


1.   तीन बातें कभी न भूलें - प्रतिज्ञा करके, क़र्ज़ लेकर और विश्वास देकर.
2.   तीन बातें करो - उत्तम के साथ संगीत, विद्वान् के साथ वार्तालाप और सहृदय के साथ  मैत्री.
3.   तीन अनमोल वचन - धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया और  चरित्र गया तो सब गया.
4.   तीन से घृणा न करो - रोगी से, दुखी से और निम्न जाति से.

"क्या आप जानते है एलोवेरा के इतने औषधीय गुणों को ?"


एलोवेरा (ग्वार पाठा ) का नाम आजकल बहुत चर्चित है. एलोवेरा को हम बहुत से नामो से जानते है - ग्वारपाठा, चित्र कुमारी, धृत कुमारी आदि. बहुत से फायदों की वजह से एलोवेरा को चमत्कारी पौधा कहा जाता है. घृतकुमारी का पौधा बिना तने का या बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है.SeeMore...........

Wednesday 7 December 2011

‎"जतीपुरा में श्रीनाथ जी का प्राकट्य"


जब आस पास के ब्रजवासियों की गायें घास चरने श्रीगोवेर्धन पर्वत पर जाती थी तब श्रावण शुक्ल पंचमी (नागपंचमी) सं. १४६६ के दिन सद्द् पाण्डे की घूमर नाम की गाय को खोजने गोवर्धन पर्वत पर गया, तब उन्हें श्री गोवर्द्धनाथजी की ऊपर उठी हुई वाम भुजा के दर्शन हुए. उसने अन्य ब्रजवासियों को बुलाकर ऊर्ध्व वाम भुजा के दर्शन करवाये। SeeMore.............

Tuesday 6 December 2011

‎"श्री अंग का ताप मिटाने ठाकुर जी करते है चन्दन का श्रृंगार"


एक बार माधवेंद्रपुरी जी व्रज मंडल जतीपुरा(गोवर्धन) में आये, जब वे रात में सोये तो गोपाल जी उनके स्वप्न ने आये, और बोले -पुरी! देखो में इस कुंज में पड़ा हूँ, यहाँ सर्दी, गर्मी, वरसात, में बहुत दुःख पता हूँ. तुम इस कुंज से मुझे बाहर निकालो और गिरिराज जी पर मुझे स्थापित करो? जब माधवेंद्रपुरी जी सुबह उठे तो उन्होंने व्रज के कुछ ग्वालो को लेकर उस कुंज में आये और कुंज को ध्यान से खोदा, तो मिट्टी में एक श्री विग्रह पड़ा था, उसे लेकर स्नान अभिषेक करके पुरि जी ने स्थापित कर दिया. SeeMore.................

Monday 5 December 2011

!! गीता जयंती !!


आप सभी को राधाकृपा परिवार की ओर  से "गीता जयंती" की हार्दिक-हार्दिक शुभकामनायें.
ब्रह्मपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। द्वापर युग में 
भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए यह 
तिथि "गीता जयंती"  के नाम से भी प्रसिद्ध है। और इस एकादशी को "मोक्षदा एकादशी"   
कहते है. भगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर, विश्व के मानव मात्र को गीता के ज्ञान 
द्वारा जीवनाभिमुख बनाने का चिरन्तन प्रयास किया है। 
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